जिसके बिना अधूरी खुशी मेरी हर बार रहती है


जिसके बिना अधूरी खुशी मेरी हर बार रहती है

सुना है आजकल वो बाहर कम निकलती हैं 
क्या वो भी मेरे बिना बीमार रहती हैं
यू तो माहिर हू में तो बाते बनाने मे
पर जिनमे जिक्र न आए उनका वो गजले बेकार रहती है
लफ्ज़ भी टुकड़े होकर बस बिखर से जाते है
जैसे हाथ मे कलम ना होकर कोई तलवार रहती हैं
यू तो मोहब्बत दुनिया भर की कमा रखी है 
मेरी मोहब्बत की बस वही हकदार रहती हैं
उसके आंसू हंसी उसकी उसका ही हर कतरा है
मेरी कहानी के हर पन्ने मे मेरी सरकार रहती है
पर क्या वो भी मेरे बिना बीमार रहती हैं..


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