सबकी अपनी मजबूरियाँ होती हैं(preetsinghsr)

सबकी अपनी मजबूरियाँ होती हैं, और जब प्यार  में ये मजबूरियाँ झगड़े का कारण बन जाती हैं तब खुद की मजबूरियाँ, खुद  का किया हुआ,खुद के त्याग के सिवाय कुछ दिखाई नहीं देता है..गुस्से  में आकर जब सब कुछ गिना दिया जाता है तब सारे किये पर पानी फ़िर जाता है..सामने वाला अपनी मजबूरियाँ गिना सके, इसका तो उसे मौका ही नहीं दिया जाता है..बस उसे गुस्से  में जो बातें कही गयी हैं, दिमाग के ठंडे होने पर उन बातों पर किये जाने वाले पछतावे के अलावा अगर कुछ रह जाता है तो वो होता है ये सूनापन..
पर इन सब बातों से अलग जो है जानती हो वो यह है कि जब मैं तुम्हें गुस्से  में आकर जाने कितना कुछ कह जाता हूँ, तुम बेतहाशा रोने लगती हो, मैं तुम्हें वो सारी बातें बोल दिया करता हूँ जो मुझे शायद कभी भी, किसी भी मोके में तुम्हें नहीं कहनी चाहिये थी, और बस फ़िर तुम इतना कहकर रह जाती हो कि "एक दिन तुम मेरी जगह  पर खड़े रहोगे, और तब तुम्हें एहसास होगा कि मैं कहाँ गलत थी, या मैं कितनी गलत थी, मेरी मजबूरियाँ कितनी बड़ी थी, या इतनी सारी मजबूरियाँ होने के बावजूद मैंने जो भी किया, भले ही तुम्हारी नज़र में आज ये बहुत कम है, पर उस दिन तुम्हें समझ आएगा कि मैंने तुम्हारे साथ कभी कुछ भी गलत नहीं किया.."

मैं सच कहूँ, बस इसके तुरंत बाद ही मेरा भविष्य मेरी आँखों के सामने तैरने लगता है, मैं भविष्य में ख़ुदको इतना तन्हा देखने लगता हूँ जैसे दुनिया के अंत के बाद एक मैं ही बचा हूँ.. मुझे लगने लगता है कि आज खुदा  मुझसे रूठ जाएगा, और इसकी सज़ा मुझे मेरा भविष्य देगा, मुझे लगता है जैसे सब कुछ एकदम से बदल जायेगा और मैं तुम्हारी जगह खड़े रहूँगा, और फ़िर खुदा मुझे मेरे किये की, धीरे धीरे से सजा देगा..मैं सच कहूं तो मेरी फट जाती है..तुम्हारी ये बातें मुझे किसी बद्दुआ सी लगने लगती हैं..रोते हुए कही गई तुम्हारी ये बातें, मेरे लाख सही होने पर भी कई सवाल खड़े कर जाती है..

फ़िर जब तक सब कुछ सही नहीं हो जाता, मैं भविष्य में जी रहा होता हूँ..मेरे किये, मेरी मजबूरियाँ, और तुम्हारे लिए मेरा ये प्रेम, तुम्हारे आंसुओं के आगे सब कुछ बौना हो जाता है.. और तुम्हारी रोते हुए कही गई बातें,  मानो मेरे किये के फलस्वरूप मुझे मिले किसी श्राप सी  लगती हैं.. तब मुझे समझ आता है कि मेरे गुस्से जितना घटिया कुछ भी नहीं, और न मेरे प्रेम जितना झूठा इस दुनिया मे कुछ है, बस तुम्हारे आंसुओं जितना सच्चा तो शायद खुदा भी नहीं..हाँ, शायद खुदा  भी नहीं..❤️

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