एक बार मेरी तरह अकेले ज़ी कर तो देख़.... (preetsinghsr)

एक बार मेरी तरह....
कभी अकेले ज़ी कर तो देख़....

दर्द के रहते हुए ,
झुठी हंसी, हंस के तो देख़..

शब्दों में पिरोना सीख़. ..
किसी से प्यार की उम्मीद करने से पहले ,
उसे प्यार देकर तो देख़.....

किसी को अपना बनाना से पहले ,
उसका हो ज़ाना तो सीख़ ....
किसी की ज़ीने की वज़ह बन ज़ा ,
उसका दर्द समेटना तो सीख़ .....

एक बार मेरी तरह अकेले ज़ी कर तो देख़....
उज़ाले क्या होते  हैं,
अंधेंरों में रहने वालों से पुछ कर तो देख्र...!!

     

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