अब भी वहीं वैसे ही खड़ी जवाब की तलाश मैं (preetsinghsr)

उसका सवाल था कैसे हो
मेरा जवाब था पहले जैसे
उसका फिर सवाल था 
पहले कैसे थे
मेरा जवाब जैसा तुम छोड़ गई थी
उसने फिर पूछा " मैं कैसा छोड़ गई थी
मैंने जवाब दिया भूल गई के नाता तोड गई थी
उसने फिर पूछा नाता जोड़ा ही कब था
इस बार मैंने जवाब नही दिया
उल्टा उससे सवाल किया
जब नाता जोड़ा ही नही 
तो क्यों साथ थी
इस बार वो मौन थी 
नजर नीचे किए ताक रही थी कुछ
या शायद ढूंढ रही थी जवाब
मैने फिर कुछ ना पूछा
अलविदा कहा और अपना रस्ता देखा
एक बार फिर देखा मुड़ कर उसे
वो थी अब भी वहीं 
वैसे ही खड़ी 
जवाब की तलाश मैं
पर कुछ सवालों के जवाब शायद नहीं होते
या हम उन्हें खोजना ही नही चाहते 
क्योंकि किसी तर्क वितर्क मैं पड़ना नही चाहते
संबंध बनाना आसान है 
संबंध निभाना मुश्किल
और ऐसी ही मुश्किल मैने उसे दे दी
जवाब का इंतजार तो मुझे भी है आज तक

0 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

Post a Comment (0)

और नया पुराने