किसी से मोहब्बत ना होती तो अच्छा होता एक अच्छा खासा शक्श मुस्कराना भूल गया (preetsinghsr)

वो गया तो फिर लौट कर आना भूल गया
शायद वो परिंदा अपना आशियाना भूल गया
किसी से मोहब्बत ना होती तो अच्छा होता
एक अच्छा खासा शक्श मुस्कराना भूल गया
वो गया तो फिर

उसे रोज बुलाती थी किसी की उंगलियां शायद 
किसी के हाथ मे वो अपनी तकदीर देखता था 
वो मशहूर थी शहर मे बेवफा के नाम से
वो रांझा बेचारा जिसमे अपनी हीर देखता था
वो दिन बदल गए वो दिल बदल गए
मोहब्बत याद रही मुकम्मल इश्क लड़ाना भूल गया
वो गया तो फिर


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