ऐसी कोई जिद्द नही है (preetsinghsr)

तुम्ही को याद करें केवल ऐसी कोई जिद्द नही है
दिल टूटा जरूर है मेरा मगर ना-उम्मीद नहीं है 
वो महज मेरे एक बार कहने से लौट आएगी
हां ये खुशफहमी हैं मगर सच कहूं तो कोई उम्मीद नही है
दिल टूटा जरूर है।

में टुकड़ा जमी का वो आसमान का नूर है
वो जो है मेरे दिल के आस पास कसम से बहुत दूर है
मंजिल है मालूम मगर राह दिखाए मेरा मुर्शीद नही है
दिल टूटा जरूर है मेरा मगर ना_उम्मीद नही है

उसके मुखड़े की हंसी देखकर जी सा जाता हूं मैं
जैसे सावन मे बंजर जमीन भी लहलहाती है
जानता हूं तुम मुझे पागल ही समझोगे कोई गम नहीं
यही पागलपना एक दिन सच्ची मोहब्बत कहलाएगी
यू तो लकीरें बेशुमार है बस एक उसकी दीद नही है
दिल टूटा जरूर है मगर ना_उम्मीद नही है 


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