मेरी ज़िन्दगी में कभी ऐसा भी मुक़ाम हो।

मेरी ज़िन्दगी में कभी ऐसा भी मुक़ाम हो।
मेरा नाम तेरे लब पर सुबह और शाम हो।
रोशनी क़रीब रहे सिर्फ़ तेरे दीदार की-
मेरी नज़र के सामने ऐसा इन्तिज़ाम हो।

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