अश्कों भरी झोली मे एक तेरे नाम के फूल नही
हर बात कुबूल जमाने की बस यही बात कुबूल नही
माना मौसम मोहब्बत आज कल इतना भी माकूल नही
पर दर के पीछे हट जाना ये अपना भी उसूल नही
हर बात कुबूल जमाने की बस यही बात कुबूल नही
कुछ ही पल मिले हैं मोहब्बत के शिकवों मे ना खो जाए
तब तक मोहब्बत करनी है जब सब न दीवाने हो जाए
बिना मोहब्बत के जानी तेरा रंग ये केसे निखरेगा
रूह तेरी जब गंदी है चेहरे पे गिरी कोई धूल नही
हर बात कुबूल जमाने की बस यही बात कुबूल नही
मुकम्मल गजल करने दो चंद शेरो मे ना बांटो मुझे
हाथो से फिसल जाऊंगा हो सके तो आंखो से छांटो मुझे
खोया मैने इश्क को जिससे आंखो कोई मेरी शुकून मिला
मैं लफ्जों मे ही रो दूंगा जरा सोच समझ कर डांटो मुझे
बस दिल की लिख दी की बाते कोई फिजूल नही
हर बात कुबूल जमाने की बस तुझसे दूरी कुबूल नही
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