आँसुओं से हमजोली कर उन्हें कुछ देर रोक लेते होंगे शायद (preetsinghsr)

प्रेमियों के बिछड़ने पर तारे टूटते होंगे शायद. 
समन्दर शान्त और भी शान्त हो जाता होगा शायद. 
मर्घट की ख़ामोशी भी चुप्पी साध लेती होगी. 
कहीं बहोत तूफ़ान आता होगा, 
उफनते आफ़ताब पर चाँदनी जलती होगी. 
ये सब हो ना हो, 
पर रूह के हर एक  ज़र्रे में यह यूँही महसूस होते है. 
अलविदा कहते वक़्त 
जो आंसू तुम्हारे मेरी गर्दन पर छूट जाते है, 
आँसुओं से हमजोली कर उन्हें कुछ देर रोक लेते होंगे शायद. फिर भीनी भीनी ख़ुशबू तुम्हारी जो ख़त्म होती है, 
रास्ते पर खड़े तुम धीरे धीरे ओझल होते हो. 
लम्स भी तुम्हारे छोड़ जाते है, 
मुझे अकेला ठीक तुम्हारे जैसे."

@preetsinghsr
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