आज सुबह से मौसम काफी बोझिल और दिन काफी लंबा सा लग रहा था, पर जानती हो मुझे, क्या इस कुम्लाहट और खीझ से दूर रखता है तुम्हारा हर शाम मेरी जिंदगी में किसी संदली खुबसूरत शाम की तरह आना, हर शाम जब तुम्हें अपनी तरफ आते हुए देखता हूँ तो लगता है जैसे कि अपने बाहों में तुम खुशनुमा बहार भर कर लायी हो और मुट्ठी में सिंदूरी लाल रंग जिसे तुम यूँ हवा में उछाल कर आकाश को भी अपनी रंगत में रंग देती हो। जब मेरा नाम पुकारती हो या जब यूँ ही बेवजह हँसती हो , ऐसा लगता है जैसे ये दरख़्तों पर लगे पत्ते भी तुम्हारे अधरों के साथ ताल से ताल मिलाकर सरगोसी करते हैं।
तुम माहजबीं को देखकर ये आधे खिलते चाँद को भी रश्क हो जाता है, सच कोई कविता या शेरो-शायरी नहीं है ये, बिल्कुल सच है ये , कभी कभी तो मुझे खुद भी यकीन नहीं होता कि तुम्हारा साथ होना कोई सच है या महज़ कोई ख्वाब जो हर शाम देखता हूँ मैं, अगर ख़्वाब है भी तो इससे सुंदर कुछ भी नहीं।
मैं दिनभर की उड़ान से थके परिंदे की भांति हर शाम तुम्हारा इंतज़ार करता हूँ, और तुम मुझे किसी घोंसले की तरह अपनापन और आराम देती हो। तुम्हारे साथ होने से ये रस्ते भी घर की तरह सुकून देते हैं। पर जब ये शाम ढलकर रात में मिलने को होती है जब आसमान अपनी गुलाबी रंगत छोड़ स्याह हुआ जाता है और तुम अपने कदम मुझसे दूर जाने के लिए बढ़ाती हो बस मन करता है वक्त और शाम दोनों को वहीं रोक दूँ ताकि कुछ और पल बिता सकूँ तुम्हारे पहलू में कुछ और किस्से सुन सकूँ तुम्हारे बचपन के , बन सकूँ तुम्हारे खिलखिलाने की वजह कुछ देर और!
ऐसा लगता है इस कुदरत से कुछ तालमेल बिठा कर आती हो, या ये भी तुम्हारे आने पर बिल्कुल मेरी तरह चहक उठते हैं और तुम्हारे जाने की बात पर रात की तरह खामोश। सोचता हूँ की शामें काश लंबी हुआ करतीं तो तुम्हारे साथ बिताया समय भी थोड़ा ज्यादा हुआ करता, लेकिन जानती तो हो अच्छा समय पलक झपकते ही बीत जाता है , तुम्हारा मेरे पास होना बस एक शाम ही तो है, मेरे जीवन की सांझ हो तुम, जिसे संजोए रखूँगा मैं जीवन के अंधेरे सनसनाती रातों में भी जैसे हम मन में संजोए रखते हैं उम्मीद कोई
إرسال تعليق